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आ चल के तुझे, मैं ले के चलूं इक ऐसे गगन के तले,
जहाँ गम भी न हो, आंसू भी न हो बस प्यार ही प्यार पले
सूरज की पहली किरण से, आशा का सवेरा जागे
चन्दा की किरण से धुल कर, घनघोर अँधेरा भागे
कभी धूप खिले कभी छाँव मिले
लम्बी सी डगर न खले
जहाँ गम भी न हो, आंसू भी न हो बस प्यार ही प्यार पले
जहाँ दूर नज़र दौड़ आए, आजाद गगन लहराए लहराए
जहाँ रंग बिरंगे पंछी, आशा का संदेसा लायें,
सपनों में पली हंसती हो कलि,
जहाँ शाम सुहानी ढले,
जहाँ गम भी न हो, आंसू भी न हो बस प्यार ही प्यार पले
सपनों के ऐसे जहाँ में जहाँ प्यार ही प्यार खिला हो
हम जा के वहां खो जाए शिकवा न कोई गिला हो
कहीं बैर न हो कोई गैर न हो सब मिलके चलते चले
जहाँ गम भी न हो आंसू भी न हो बस प्यार ही प्यार पले
Thursday, September 10, 2009
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